अब दिल्ली दूर नहीं
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम और आगामी लोकसभा चुनाव पर पड़ने वाले उसके प्रभाव की एक पड़ताल
प्रस्तावना
दिसंबर 2023 में सम्पन्न हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल करते हुए 163 सीटें जीती, वहीं सत्ता परिवर्तन की आस लिए कांग्रेस के हाथ महज़ 65 सीटें ही आयीं। 1 सीट नए दावेदार भारत आदिवासी पार्टी ने अर्जित की।
बहरहाल,आज हम सीधे तौर पे विधानसभा चुनाव की चर्चा नहीं करने वाले हैं, बल्कि इन परिणामों की मदद से एक नया आंकलन करने का प्रयास करेंगे। फरवरी का महीना लग चुका है और भारतवर्ष में कुछ ही समय में लोकसभा के चुनाव अर्थात् आम चुनाव होने वाले हैं। पिछली बार आम चुनावों की घोषणा मार्च 2019 में हुई थी, तो आगामी चुनाव की घोषणा भी जल्द होने की उम्मीद जताई जा रही है। आइये एक बार पिछले आम चुनाव में आए परिणामों पर नज़र डालें। पिछली बार सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जंत्रान्तिक गठबंधन (एनडीए) उर्फ़ मोदी सरकार को प्रचंड जीत मिली थी। मध्य प्रदेश में इस गठबंधन के प्रमुख सदस्य भाजपा को 28 सीटें मिली थी जबकि कांग्रेस को महज़ 1 सीट से ही संतोष करना पड़ा था।
छोड़ो कल की बातें...
पुरानी बातें बहुत हो गयी, हम 2023 के विधानसभा चुनाव के परिणामों की मदद से यह जानने की कोशिश करेंगे कि यदि इसी तर्ज़ पर 2024 के आम चुनाव में वोटिंग हुई तो क्या होगा? ऐसा करने के लिए हमने निम्नलिखित चरणबद्ध तरीके से आंकलन करने का प्रयास किया है:-
- विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा क्षेत्र के बीच रिश्ता — अमूमन 7 या 8 विधानसभा क्षेत्रों के समावेश से 1 लोकसभा क्षेत्र का निर्माण होता है। उदाहरण के तौर पे सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धरमपुरी, धार, बदनावर, डॉ अंबेडकर नगर (महू) विधानसभा क्षेत्रों के समावेश से धार लोकसभा सीट बनी है। इसी प्रकार से मध्य प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों को साथ जोड़कर 29 लोकसभा सीटें बनाई गयी हैं।
- विधानसभा क्षेत्र में बढ़त— किसी भी राज्य के विधानसभा चुनाव के उपरांत अक्सर हमें कुछ विश्लेषण मिलते हैं, जिनमें उक्त चुनाव में जीती हुई सीटों के आधार पर लोकसभा सीटों की जीत निर्धारित की जाती हैं। मसलन किसी लोकसभा सीट में आने वाली कुल 8 में से, 5 या उससे अधिक विधानसभा सीटों में जीत दर्ज करने वाले दल को उस लोकसभा क्षेत्र का विजेता मान लिया जाता है। ऐसा करना तब सार्थक होगा, जब किसी विधानसभा क्षेत्र में लड़ने वाले मात्र दो ही दल हों। जबकी ऐसा नहीं है, कई दफ़ा वहाँ निर्दलीय उम्मीदवार व अन्य दल भी होते हैं, जो तीसरे या चौथे नंबर पर होने के बावजूद काफ़ी वोट लेकर आते हैं। इसीलिए मात्र सीटें गिन कर लोकसभा सीट का विजेता निकालने का यह तरीका भ्रामक है। अत: हमने हर विधानसभा सीट में लड़ने वाले एक-एक दल के वोट गिने हैं। ऐसा करने के दो फ़ायदे हैं — पहला यह की हम जीत के अंतर को सटीक ढंग से मापने में सफ़ल होते हैं, दूसरा यह की मन में जीत और हार के बारे में कोई संशय नहीं बचता।
- पक्ष-विपक्ष — चूंकि मप्र का चुनाव हर दल ने स्वयं लड़ा था, इसलिए हमारे आंकलन में हमने एनडीए में आने वाले दल जैसे, जनता दल (युनाइटेड), भारतीय जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) व रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के वोट "सत्तापक्ष" में जोड़े हैं। वहीं, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारत आदिवासी पार्टी, विंध्य जनता पार्टी, आज़ाद समाज पार्टी (कांशीरम), एआईएमआईएम, सीपीआई, सीपीआईएम, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, गोंडवाना गणतन्त्र पार्टी इत्यादि को मिलने वाले वोट को "विपक्ष" का वोट माना है। निर्दलीय उम्मीदवारों के कारण 29 में से किसी भी सीट के परिणाम पर कोई अंतर नहीं आ रहा था इसलिए इस आंकलन में निर्दलीय उम्मीदवारों के वोट शामिल नहीं है। वैसे भी, यह तय करना बहुत मुश्किल होता है कि निर्दलीय या बागी उम्मीदवारों ने किस पक्ष के वोट काटे।
आंकलन
हमने मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा क्षेत्रों के अंदर आने वाली समस्त विधानसभा सीटों का वोट जोड़ा, जिसके फलस्वरूप एक टेबल का निर्माण किया। 2023 विधानसभा चुनाव में मिलने वाले इस वोट की मदद से यह जानने की कोशिश की गयी है कि कौनसा दल किस लोकसभा क्षेत्र में आगे है और कौन कितने गहरे पानी में है। यहाँ पर टेबल के माध्यम से दो स्तिथि दर्शायी गयी हैं:-
- गठबंधन के अभाव में — जीतने वाली पार्टी, अनुमानित जीत का अंतर व उसका %
- गठबंधन होने पर — जीतने वाला पक्ष, अनुमानित जीत का अंतर व उसका %
नोट :- जीत के अंतर का प्रतिशत (%) उस सीट में पड़ने वाले कुल वोट के विरुद्ध निकाला गया है व आंकलन में इस्तेमाल किए गए सभी आंकड़े मप्र विधानसभा चुनाव के परिणाम से लिए गए हैं जिसकी लिंक यहाँ है :- https://results.eci.gov.in/AcResultGenDecNew2023/partywiseresult-S12.htm
उक्त टेबल से यह साफ़ होता है कि गठबंधन के अभाव में लड़ने पर कांग्रेस को मात्र 4 सीटों से ही संतोष करना होगा, जिनमें 3 तो ऐसी हैं जिनमें जीत का अंतर बहुत कम है। यदि मौजूदा विपक्ष एक होकर चुनाव लड़ता है तो मप्र की 14 सीटों पर उनके जीतने की प्रबल संभावना बन रही है। कहीं अंतर छोटा है, तो कहीं बड़ा, परंतु 4 के मुक़ाबले 14 की संख्या बहुत बड़ी है। बहुत सारी सीटों में काँटें की टक्कर की गुंजाइश बन रही है, जो की अबतक एनडीए के पक्ष में एकतरफा मानी जा रही थीं।
उदाहरण के तौर पर सतना सीट लेते हैं। सतना में 7 विधानसभा सीटें आती हैं, नामवर:- चित्रकूट, रायगाँव, सतना, नागोद, मैहर, अमरपाटन, रामपुर-बघेलन। इनमें वर्तमान में 4 सीटें भाजपा के पास, तो 3 सीटें कांग्रेस के पास हैं। ऐसे में कोई कह सकता है कि सतना लोकसभा सीट तो भाजपा ही जीतेगी। हाँ जीतेगी, वह भी 96,604 वोट के अंतर से, यदि सब दल अकेले लड़ें तो। पर अगर विपक्षी पार्टियों का गठबंधन हो, तो 2,14,030 वोटों के भारी अंतर से यह सीट विपक्ष की झोली में आ जाएगी।
वहीं, धार सीट पर गौर करें तो मालूम पड़ेगा कि विपक्ष महज़ 15,595 वोट से आगे है। विपक्ष के गठबंधन होने का यह मतलब नहीं है कि हर सीट में काटें की टक्कर होगी। सूची में इंदौर, उज्जैन, भोपाल जैसी सीटें भी हैं, जिनमें सत्तापक्ष कई लाख वोट से आगे है। पर हाँ, जीत-हार का फासला ज़रूर कम होगा।
निम्न कुछ ग्राफ़िक्स के माध्यम से हम इस आंकलन को सरल ढंग से समझ सकते हैं:-
निष्कर्ष
लोकसभा चुनाव अभी हुए नहीं है। असली फैसला तो जनता जनार्दन के हाथों ही होगा और फ़िलहाल जनता के मन में क्या चल रहा है, यह कोई नहीं जान सकता। इस आंकलन के माध्यम से हमने धरातल की वास्तविक नब्ज़ टटोलने की कोशिश की है। 2023 में हमने एक और विश्लेषण किया था जिसमें हमने यह पाया था कि 2023 मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में यदि विपक्ष का गठबंधन होता, तो वह 119 सीटें जीतता और भाजपा 110 सीटों पर सिमट जाती। इससे मन में जिज्ञासा पैदा हुई की यदि इन परिणामों को लोकसभा के नज़रिये से देखा जाए तो क्या होगा? जिसके फ़लस्वरूप यह आंकलन आज आपके सामने प्रस्तुत किया गया है।
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