२०२४ के चुनाव से पहले मतदाता सूची में नाम कैसे जुड़वायें ?
चुनावी समर सर पर है, ऐसे में नागरिकों की ज़िम्मेदारी पर एक लेख।
प्रस्तावना :-
वर्ष २०२४ में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है। एक ओर, जहां पिछले १० वर्षों से सत्ता में काबिज़ 'एन०डी०ए' है। वहीं दूसरी ओर, विपक्षी दलों का महागठबंधन 'आई०एन०डी०आई०ए' अर्थात् इंडिया है। इन दो गुटों के अलावा भारत राष्ट्र समिति, बीजू जनता दल जैसे क्षेत्रीय दल भी हैं।
चुनाव के प्रति राजनीतिक दलों की तैयारी व रस्साकशी तो समझ आती है, पर क्या जनता को भी किसी प्रकार की तैयारी करने की ज़रूरत है? आप कहेंगे कि लाइन में खड़े होकर वोट डालने की कैसी तैयारी भला? आज हम इसी विषय में बात करने वाले हैं।
वोट देने के लिए ज़रूरी है किआपका नाम मतदाता सूची यानी की वोटर लिस्ट में दर्ज हो। यदि आप भारत के नागरिक हैं व आपकी उम्र १८ वर्ष या उससे अधिक है, तो आपका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज हो सकता है। पर वोटर लिस्ट में नाम क्यों जुड़वाएँ? घंटो लाइन में खड़े होकर वोट क्यों दें? आइये समझते हैं...
वोट देने की अहमियत :-
पिछले आम चुनाव में ६७% लोगों ने वोट दिया, मतलब मतदाता सूची में जितने भी लोग थे उनमें से लगभग दो-तिहाई लोगों ने अपने मत के अधिकार का प्रयोग किया। नीचे दिये गए ग्राफ़ में विगत २५ वर्षों के आम चुनावों में भारतवर्ष कितने प्रतिशत (%) वोटिंग हुई, इसका विवरण है :-
भारत एक लोकतांत्रिक देश है इसलिए हमें लोकतंत्र, चुनाव, नेताओं व नागरिकों से जुड़े कुछ तथ्यों को जानना ज़रूरी है …
- लोकतंत्र और भारत — भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहाँ पर जिस भी सरकार का गठन होता है उसे ५ वर्षों का शासनकाल मिलता है। जब हम लोक सभा चुनाव (आम चुनाव) में वोट देते हैं, तो हम हमारे क्षेत्र का ‘सांसद’ चुनते है। पूरे भारतवर्ष में जनता द्वारा ५४३ सांसद चुनकर लोक सभा भेजे जाते हैं। इनमें से जिस भी समूह के सांसदों की संख्या, बहुमत के आंकड़े को पार कर लेती हैं, वे सरकार का गठन करते हैं, और प्रधान-मंत्री का चयन करते हैं। बहुमत का आंकड़ा कुल सांसदों की संख्या का आधा होता है। बहुमत का आंकड़ा ५४३/२ = २७१.५ निकल के आता है, जो की राउंड ऑफ हो कर ‘२७२’ माना जाता है।
- स्वच्छ भारत — पिछले कुछ वर्षों में ऐसे तथ्य हमारे सामने आयें हैं जो की चौकाने वाले हैं। अमर उजाला में छपी एक ख़बर के अनुसार २००९ के चुनाव में जीतने वाले सांसदों में से ३०% के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज थे। २०१४ में यह संख्या बढ़ कर ३४% हो गयी और वर्तमान में यह आंकड़ा ४३% के आसपास मंडरा रहा है। इन आकड़ों से हमें साफ़ छवि वाले उम्मीदवार को वोट देने का महत्व समझ आता है।
- वादे — कई बार चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां जनता से अनेक वादे करती हैं। कोई कहता है कि सत्ता में आने पर वे स्कूटी बाँटेंगे, मुफ़्त में बस की यात्रा करने देंगे, तो कोई सीधे खाते में ही पैसे डालने की बात करता है। पिछले कुछ चुनावों में हमने इन वादों को सच होते देखा है (और कुछ वादों को चुनाव के बाद गायब होते भी देखा है)... है न ये भी वोट देने की एक अच्छी वजह 😉। अब आप बोलेंगे कि स्कूटी, मुफ्त बस यात्रा और पैसा मिलना होगा तो बिना वोट दिये भी मिल ही जाएगा। हाँ, पर अगर वादा करने वाला दल जीतेगा ही नहीं, तो कैसे मिलेगा?
- मुफ़्त नाश्ता — वोट देने का एक और फायदा है जिसकी काफ़ी कम चर्चा होती है। वो है वोट वाले दिन मिलने वाला मुफ्त नाश्ता और दुकानों पर मिलने वाले डिस्काउंट ऑफ़र। हाल ही में संपन्न हुए मध्यप्रदेश राज्य के चुनाव के मतदान वाले दिन, इंदौर के ५६ दुकान में वोटरों को मुफ़्त नाश्ता खिलाने की पहल गयी थी। यह एक ऐसी स्कीम है जिसमे कोई टिकट, नाम, नंबर, आधार-वाधार की ज़रूरत नहीं होती। बस अपनी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर 👆) पर लगी स्याही दिखाओ और मुफ़्त पोहा-जलेबी का लुत्फ़ उठाओ।
- रुतबा— उंगली पर लगी नीली स्याही का एक अलग ही रुतबा होता है। लोग भी ऐसी तारीफ़ करते हैं मानो आप कोई जंग जीत के आए हों। लोग पूछते हैं, "आपने वोट दिया था?", फिर आप मुस्कुरा के कहते हैं, "हाँ दिया था"। कुछ जिज्ञासु आपसे यह भी पूछ बैठते है कि किसे दिया। आप कहते हैं 'वो तो गुप्त रखना होता है न' और आप दोनों हंस पड़ते हैं (या नज़रें चुराने लगते हैं)। पहली बार वोट देने के बाद सोशल मीडिया पर सेल्फ़ी डालकर लाइक और कमेन्ट बटोरने के लिए भी ठीक-ठाक सामग्री मिल जाती है।
- हक़ — बात हिस्सेदारी की भी है। उदाहरण के तौर पर जिस तरह हम शेयर बाज़ार में किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं, ठीक उसी प्रकार, यदि हम एक सफ़ल लोकतंत्र के हिस्सेदार बनना चाहते हैं, तो उसका पहला 'शेयर' वोट देने से शुरू होता है। शेयर का अंग्रेज़ी भाषा में अर्थ ही हिस्सा होता है। हिस्सेदारी के साथ साथ ज़िम्मेदारी भी आती है, जो की हमें अगले ५ वर्षों तक निभानी होती है। जिस तरह हम शेयर मार्केट के पल-पल की खबर रखते हैं, सही और गलत का चुनाव करते हैं। ठीक उसी तरह हमें यहाँ, अपने क्षेत्र के सांसद और सरकार द्वारा किए गए कार्यों की ख़बर रखनी चाहिए।
बात नाम जोड़ने की हुई थी .....
सही बात है, लेख तो नाम जोड़ने से शुरू हुआ था, तो ये लोकतंत्र, साफ़ छवि, हिस्सेदारी, ज़िम्मेदारी जैसी भारी भरकम शब्दावली पर कैसे चले गये? मुद्दे पे आते हैं...
इस बार का मोटा मोटा हिसाब यह है की अगर आप १ अक्तूबर २०२४ से पहले आने वाले किसी भी दिन पर अपना १८वां जन्मदिन मनाएंगे, तो आप सूची में नाम जोड़ने के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि आप वर्तमान में १८ वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं तो आपको भी आवेदन करना चाहिए। मतदाता सूची (वोटर लिस्ट) में नाम होना सबसे ज़रूरी है। सिर्फ़ वोटर आईडी होने से कुछ नहीं होता, वह तो एक पहचान पत्र मात्र है।
वोट डालने के लिए दो चीज़ें लगती हैं; एक है मतपत्र (वोटर स्लिप), यह मतदाता सूची का ही एक अंश है जिससे यह पता लगता है कि आप कौनसे क्षेत्र के निवासी हैं और आपका मतदान केंद्र कौनसा है। मतदान केंद्र में बैठे अफ़सर इसी मतपत्र की मदद से मतदाता सूची में आपका नाम खोजते हैं और आपको वोट देने की अनुमति देते हैं। दूसरा, चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित १२ पहचान-पत्रों में से कोई सा भी एक पहचान-पत्र। इसकी पूर्ण सूची देखने के लिए निम्न ख़बर को पढ़ें:- https://www.amarujala.com/chhattisgarh/cg-election-2023-do-not-have-voter-id-able-to-vote-with-these-documents-2023-11-16
हर चुनाव के पहले वोटर लिस्ट में नाम जोड़े व हटाये जाते हैं। हो सकता है कि जो व्यक्ति पिछले चुनाव में इंदौर में रहता हो, वो अब भोपाल रहने लगा हो और यह भी संभव है कि वह कनेडा चला गया हो। हो सकता है कि फ़िल्म 'आवारा पागल दीवाना' की तरह किसी का नाम छोटा छत्री हो, और लिस्ट में गलती से ताड़ पत्री चढ़ गया हो। 'चाची ४२०' के समान, पुरुष के स्थान पर महिला लिखा हुआ हो। ऐसी सारी समस्याओं के समाधान हेतु अलग-अलग आवेदन (फ़ॉर्म) बनाए गए हैं, जिनका विवरण आगे है।
कौन कौनसे आवेदन कर सकते हैं ?
आवेदन हेतु समय सारिणी
आवेदन कैसे करें ?
आवेदन करने के लिये हम निम्न विकल्पों में से कोई एक चुन सकते हैं —
- ऑनलाइन वोटर पोर्टल :- https://voters.eci.gov.in/
- मोबाइल के दीवानों के लिए एंडरॉयड एप्पलिकेशन :- https://play.google.com/store/apps/details?id=com.eci.citizen
- आईफ़ोन का शौक़ रखने वालों के लिए :- https://apps.apple.com/in/app/voter-helpline/id1456535004
- किसी वजह से ऊपर दी गयी एप्प्लिकेशन की लिंक काम न करें, तो एक नज़र यहाँ भी मार सकते हैं :- https://www.eci.gov.in/voter-helpline-app
- बूथ लेवल अफ़सर (बी०एल०ओ) से संपर्क साधें और फ़ॉर्म जमा करें। मन में यह सवाल उठता है कि बी०एल०ओ का पता कैसे लगाएँ। इसकी जानकारी चुनाव आयोग की वेबसाइट, मोबाइल एप्लिकेशन एवं टोल फ़्री नंबर पर उपलब्ध है। अमूमन, एक रहवासी क्षेत्र में पहले से निवासरत कई वोटर होते हैं। अतः आप आपके माता-पिता, चाचा-चाची, भैया-दीदी, मित्रगण अथवा पड़ोसियों से भी बी०एल०ओ के बारे में पता कर सकते हैं।
किसी भी समस्या आने पर हेल्पलाइन पर संपर्क करें:
- ईमेल सुविधा 📧 complaints@eci.gov.in
- टोल फ़्री नंबर 📞 १९५०
एक सफ़ल लोकतंत्र बनाने हेतु २०२४ के चुनाव में वोट अवश्य करें। लेख में यदि कोई त्रुटि हुई हो तो मुझसे ईमेल: ikalorano@gmail.com के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। आगे ऐसे और लेख पढ़ने के लिए, मुझे मीडियम पर फॉलो करें। लेख अच्छा लगा हो, तो नीचे दिये गए ताली के बटन को पीट दें और अच्छे-अच्छे कमेंट्स करें। धन्यवाद 🤓!